अधूरी बात
बैठा हुआ था,
तब तक ,
पलक झपकने के बाद,
जब उठाता हूँ,
अपनी पलकें,
सामने बैठीं हुई,
युवती नजर आती है।
उसे देखता हूँ,
उसकी आँखें कुछ कह रही,
जान पहचान करने को,
बस वही हुआ।
उसकी तस्वीर,
आँखों के जरिए खिचकर,
दिल के एलबम में,
सुरक्षित कर दिए,
बातें होने लगी,
चेहरे खिल उठे,
ना जाने कब शुरू हुआ
बातों का सिलसिला।
यह खिलखिलाना
बातें करना,
मुझे ऐसा विभोर किया,
मैं उसकी तरफ बढता गया।
लेकिन मुझमें,
हिम्मत नहीं थी
कुछ कहने की,
सोचता रह गया,
कह नहीं पाया
दिल की बातें
रह गई अधूरी बातें।
रह गया अधूरा प्यार।
तब तक वो दूर
चली जाती है।
बहुत दूर!!!!!!
@रमेश कुमार सिंह /29-08-2016