ग़ज़ल
गलतियों पर तेरी पर्दा डालेंगे नही हम !
जो फँस जायेगा मुसीबत में निकालेंगे नही हम !!
सुख दुःख में तू हमारे भागीदार नही था !
लिहाज किसी का भी अब पालेंगे नही हम !!
धन,दौलत,इज्जत,शौहरत तेरी तुझे मुबारक !
रिश्तों को पैसो से कभी तौलेंगे नही हम !!
सच क्या है ये सबको तू ही बताएगा !
जुबाँ से अपनी कुछ भी बोलेंगे नही हम !!
किया क्या है तूने ये सबको तू ही बता !
याद है सब हमको कभी भूलेंगे नही हम !!
षड्यंत्र रचकर तूने फैलाया जाल बहुत बढ़िया !
चाल चलेगा ऊपर वाला दांव खेलेंगे नही हम !!
झूठा, फरेबी, भ्रष्ट्र बनकर बिक गया इंसान !
ईमान किसी कीमत पे अपना बेचेंगे नही हम !!
लगा के आग तबाह कर दिया घर सारा !
बद्दुआए दी जो तुमने कभी भूलेंगे नही हम !!
सारे प्रकरण का इकलौता गवाह है तू नन्हाकवि !
इंसाफ के खातिर कानून की शरण लेंगे नही हम !!
— शिवेश अग्रवाल ‘नन्हाकवि’