बेनकाब मायावती
८ नवंबर की रात के बाद मोदी द्वारा नोटबन्दी किए जाने के बाद लगभग सभी विपक्षी दल विक्षिप्त हो गए। अब उन्होंने खुद ही प्रमाण देना शुरु कर दिया है कि उनकी यह दशा क्यों हुई। कल दिनांक २६ दिसंबर को प्रवर्तन निर्देशालय द्वारा जारी की गई सूचना में यह खुलासा हुआ है कि बसपा सुप्रिमो मैडम मायावती ने दिल्ली के करोल बाग स्थित यूनियन बैंक के अपनी पार्टी के खाते में ८ दिसंबर के बाद १०४.३६ करोड़ रुपए के पुराने ५०० और हज़ार रुपए के नोट जमा कराए। विवरण निम्नवत है —
दिनांक राशि
१०.११.१६ ३६ लाख
२.१२.१६ १५.० करोड़
३.१२.१६ १५.८ करोड़
५.१२.१६ १७.० करोड़
६.१२.१६ १५.० करोड़
७.१२.१६ १८.० करोड़
८.१२.१६ १८.० करोड़
९.१२.१६ ५.२ करोड़
कुल १०४.३६ करोड़
इनमें से १०२ करोड़ रुपए पुराने १००० रुपए तथा शेष २.३६ करोड़ रुपए ५०० रुपए के नोट थे। यही नहीं उनके भाई आनन्द कुमार के उसी बैंक के खाते में भी इसी अवधि में १.४३ करोड़ के पुराने नोट जमा कराए गए। मायावती हमेशा की तरह यही कहेंगी कि ये रुपए गरीब पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए चन्दे थे। मायावती कुछ भी बहाने बनाएं लेकिन यह सत्य है कि इतनी बड़ी धनराशि घर में रखने के पीछे पार्टी का भला कम और अपनी धनलिप्सा की प्रवृत्ति ज्यादा थी। मायावती से ममता तनिक भी कम विक्षिप्त नहीं हैं। जो नेता जितना विक्षिप्त है, मोदी को उसी अनुपात में गालियां दे रहा है। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य लाभ करने के बाद जय ललिता को नोटबन्दी की जब जानकारी हुई, तो वे सदमा नहीं झेल पाईं। राहुल गांधी भी विक्षिप्तता की सीमा पार कर गए हैं। अगर उनके, उनकी माताजी और बहन-बहनोई के यहां छापे डाले जांय, तो मायावती के काले धन से कई गुणा ज्यादा काला धन प्राप्त होगा। लेकिन मोदी के हाथ बंधे हुए हैं। उनके घर पर छापा डालने से यह प्रचार किया जाएगा कि मोदी ने राजनीतिक बदला लेने के लिए छापा डलवाया था।
हिन्दुस्तान में सबसे भ्रष्ट प्रजाति नेताओं की है। इन्होंने अपने स्वार्थ के लिए समाज के हर तबके, व्यापारियों और नौकरशाहों को भ्रष्ट बना रखा है। सोनिया गांधी ने अगस्ता हेलिकाप्टर घोटाले में पूर्व वायु सेनाध्यक्ष को भी लपेट लिया। विश्वास नहीं होता कि कोई सेनाध्यक्ष बिना किसी बड़े दबाव के नियमों में फेरबदल करके सोनिया जी की पसन्दीदा फ़र्म को क्रयादेश दिला सकता है। लेकिन वे मायावती की तरह मूर्ख भी नहीं हैं कि काला धन बैंक में जमा करके बदनामी मोल लें। उनके और अन्य नेताओं के तहखाने से काला धन निकालने के लिए मोदी और जेटली को नई युक्ति सोचनी पड़ेगी। विदेशी खातों की पूर्ण और पुष्ट जानकारी प्राप्त होने के बाद ही इनपर शिकंजा कसना संभव हो पाएगा। नोटबन्दी के बाद विदेशी कालाधन को शीघ्र देश में लाए जाने की अब अपेक्षा की जा रही है। मोदी अगर इसमें सफल हो गए तो इतिहास पुरुष बन जायेंगे। मुलायम, ममता, लालू, करुणानिधि, शरद पवार और अन्य धंधेबाज नेता मायावती की तरह बैंक में भले ही कालाधन जमा न करें, परन्तु चार दिनों के बाद अपने नोटों को रद्दी में बदलने से नहीं रोक सकते।
प्रधान मन्त्री जी से अनुरोध है कि वे विपक्ष के भौंकने से विचलित हुए बिना इनके परिसर पर छापा डलवाएं। लोढ़ा और भुजियावाले के यहां इनके धन का बहुत छोटा हिस्सा था। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, मुलायम, मायावती, ममता, जयललिता, करुणानिधि, राजा और पवार जैसे नेताओं ने भी देश को खूब लूटा है। इन्हें भी बेनकाब करने का अब समय आ गया है।