समोसा
कौन कहता है ठंड है
खोजा बहुत मिला नहीं
उत्तर से दक्षिण तक
सैर किया
दिल्ली दिलवालों की नगरी में गया
वहाँ चौहान जी मिले
कुशल क्षेम पूछी
कैसे हुआ आना ?
खोज रहा था ठंडी को
अरे मिश्रा जी ठंडी खोजना
हो उत्तरांचल में आना !
यहाँ तो —
गरमी का है जमाना !
उनकी बातों पर नहीं हुआ विश्वास!
आया मुंबई चल दिया मद्रास !
रास्ते में गुलबर्गा मिला
यार गुंटूर !
डोसा इटली सांभर बड़ा
वहाँ पर था समोसा खड़ा !
बोला भाई यूपी से आए हो ?
इधर उधर गर्दन घुमाया !
चिरपरिचित सभी को नदारद पाया !
हौले से समोसा मुस्कुराया!
मेरा रंग मत देख !
मै समोसा हूँ !
नये परिधान में सजकर आया हूँ !
आलू के साथ देखे थे आप
यहाँ मै पत्तागोभी के साथ आया हूँ!
चेन्नई में प्याज के साथ पाएँगे !
ये मेरे नये रूप है
आप नहीं समझ पाएँगे !
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
२६/१२/२०१६