कविता

सर्दी का मौसम

सर्दी का मौसम आया है,
फ़िज़ा में मस्त मस्त रंगरलियां बिखेरता हुआ,
विशाल धुंध की चादर लपेटे हुए,
बादलो की पालकी में हो के सवार,
शिशिर कणो के मोतियों से सजा
चंदा की चांदनी से झिलमिल – झिलमिल
लाख तारों की हंसीं बारात अपने संग लिए,
सर्दी का मौसम आया है,
,
रवि की अनगिनत किरणो को विश्राम दिलाता,
सारे जग को शीतलता का एहसास दिलाता,
जीवन में परिवर्तन का सबक सिखाता
जगाने मन में आशा की नई किरण,
लिए यश और कीर्ति भरी मन में उनंग,
सर्द हवा संग ठिठुरन का अंदाज़ लिए -..
सर्दी का मौसम आया है,

दूर पर्वतो पर बर्फ की श्वेत पताका फहराता हुआ,
जग में सबको शांति और अमन का पाठ पढ़ाता हुआ,
यहाँ से वहां तक नवीनता का एक नया आयाम लिए,
प्रभु से सबको सुख देने की विनती संजोये,
कामना सबकी पूरी करने की माला पिरोये
शत शत आशीष परम परमेश्वर का संग लेकर,
सर्दी का मौसम आया है,

गरम गरम चाय काफी की लालसा जगाता हुआ,
हलवा पूरी और मिष्ठान की याद दिलाता हुआ,
काजू किशमिश और मूंगफली-बादाम का साथ, ,
करारे पराठे संग मक्खन और आचार का स्वाद,
इस सर्दी में सबको यह सब पाने को मन ललचाया है,
संग गाजर के गरम हलवे ने सबका मन हर्षाया है,
सर्दी का मौसम आया है,

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845