अनुभव
यों तो हर बीता हुआ पल बहुत कुछ सिखा जाता है, फिर बीता हुआ वर्ष तो बहुत बड़ी तोप साबित होता है. अमिता के लिए बीता हुआ वर्ष वह सब कुछ ले आया, जिसकी कमी उसे पिछले 50 वर्षों से खल रही थी. उसके पास सब कुछ था, फिर भी किसी कोने से कुछ चाह तो निकल ही आती है. अमिता को कई सासों और कई बहुओं के किस्से सुलझाने का मौका मिला था, लेकिन वह पहले सास के साथ और फिर बहू के साथ नहीं रह पाई थी. 50 वर्ष पहले जब उसकी शादी हुई थी, उसकी सास पहले ही भगवान को प्यारी हो गई थी, 16 साल पहले जब बेटे की शादी हुई, वह विदेश में रहता था, सो बहू को तो वहां जाना ही था. सास-बहू के बीच प्यार की कमी नहीं थी. वे एक दूसरे के पास आते-जाते, बात करते रहते थे, पर लंबे समय तक दोनों को साथ रहने का मौका नहीं मिल पाया. बीता हुआ वर्ष उनके लिए यह मौका ले आया. अब तक किताबी बातों-दावों को अमली जामा पहनाने का समय आ चुका था. अमिता ने इसके लिए अपने मन को तैयार कर रखा था, बहू भी पीछे नहीं थी. अमिता ने बहू की हर बात को समझने की कोशिश की थी, बहू ने हर हाल में बड़ों की इज़्ज़त करने में कसर नहीं छोड़ी. पूरे साल बाद जब अमिता के जाने का समय आया, दोनों की आंखें प्रेमाश्रुओं से सिक्त थीं. अब एक के पास बहू के साथ सस्नेह निभाव करने का अनुभव था, तो दूसरी के पास सास के मन में सप्रेम बसने का.