“मुक्तक”
शीर्षक – आवाज, आहट , ध्वनि , स्वर
“मुक्तक”
सरसर साँप देखि डर लागे, स्वर डमरू के चित अनुरागे
मुख ललाट चंद्रमा सुभागे, आहट शिव सुन नंदी जागे
महिमा अमिट धवल कैलाषा, माँ शिवशक्ति भर अभिलाषा
जय गणेश लंबोदर आगे, सुरम्यता भूषित मणिनागे॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी