मुक्तक/दोहा

“दोहा”

“दोहा”

भौंरा घूमे बाग में, खिलते डाली फूल

कुदरत की ये वानगी, माली के अनुकूल॥

उड़ने दो इनको सखे, पलती भीतर चाह

पंखुड़ियों में कैद ये, इनके मुँह कब आह॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ