टूटा हुआ : ग़ज़ल
जो दिया था दिल उन्हें गाता हुआ
मिल गया वापस मुझे टूटा हुआ
चोरियां उस रात कुछ ज़्यादा हुईं
देर तक जिस रात को पहरा हुआ
इश्क की उलझन न सुलझी यक दफा
हर दफा मैं ही मिला उलझा हुआ
अश्क़ ने अपना तआरुफ़ यूँ दिया
मैं समन्दर, बूँद में सिमटा हुआ
अब किसी सूरत न होगा वो जुदा
है यूँ मेरी रूह से लिपटा हुआ
:प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’
फतेहपुर उत्तर प्रदेश