कविता

तुम जो आ रहे हो

तुम जो आ रहे हो

मेरे जीवन में रंग भरने
तुम जो आ रहे हो ।
जानें कई रंग के सपने
साथ अपने ला रहे हो ।
तुम्हारे आने की खुशी में
हम बिन बात बहकने लगे हैं ।
तुम्हे पाने की आहट से
देखो हम चहकने लगे हैं ।
हर घड़ी तुम्हारी कल्पनाओं में
हम फूलों से छवि बना रहे हैं ।
आ रहे हो जो तुम
हम तुम्हारी राह में पलकें बिछा रहे हैं ।
अब तुझ संग जीना है फिर से
खोये हुए बचपन को ।
मदमस्त होकर उड़ना है
पाना है फिर लड़कपन को ।
तुतलाते हुए बोलेंगे
तुम्हारी प्यारी सी बोली ।
घोड़ी बनकर चलेंगे साथ
मस्ती में झूमेगी हमारी प्यारी सी टोली ।
तुम्हारे चांद से चेहरे पे
मासूमियत का ताज होगा ।
सुन प्यारे से नन्हे मेहमान
इस दिल पे तुम्हारा राज होगा ।
कड़वी बात एक कहता हूं
यहां बहुत कुछ मैं सहता हूं ।
सायद तुझे भी बुआ का प्यार न मिले
कुछ अपनों का दुलार न मिले ।
पर कभी घबड़ाना ना तू मेरे शेर
बढ़ना आगे तू ऐसे जीवन में कभी ना हार मिले ।
पर अभी तितलीयों संग तुझे उड़ना है
फूलों के महकती रंगों से जुड़ना है ।
चांद-तारों को छूने की चाहत से
नील गगन तुम्हे छूना है ।
दादी की चरणों में बैठ
बैकुण्ठ का सुख तुम्हे पाना है ।
सभी के सपनों को लेकर
तुम्हे गीत खुशी के गाना है ।
मन में अभिलाषा है
रंगों में लिपटी थोड़ी सी आशा है ।
हमें बिन बात तुम हंसा रहे हो
हौले से जीवन में तुम जो आ रहे हो ।।

मुकेश सिंह
सिलापथार, असम
मो०- 9706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl