धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

“हमारी संस्कृति हमारी विरासत”

जय श्रीकृष्ण:                                                                                                                                                                                                                                                                                                         02-01-2017
“हमारी संस्कृति हमारी विरासत”

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों का नाम है. संस्कृति का शब्द का अर्थ है – उत्तम या सुधरी हुई परीस्थिती .मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है . यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है.ऐसी जीवन शैली निर्माण करता है जिसके द्वारा मानव स्वयं का तथा समाज का उद्धार कर सके .जिससे मनुष्य “पशुओं” और “जंगलियों” के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है और सूसंस्कृत कहलाता है.सभ्यता और संस्कृति दो अलग बातें है .सभ्यता से उसके आचरण का पता चलता है और संस्कृति से पारंपरिक जीवन शैली या पारंपरिक रीति रिवाज ,जिसे हम ,बुज़ुर्गों से मिली हुई रीति रिवाज की विरासत भी कह सकते है . मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट हो गया होता तो वह “अप्राप्त वस्तु” के “प्राप्त” होने पर “और भी कुछ बाकी है” ऐसा नहीं सोचता . क्योंकी वह सिर्फ भौतिक परिस्थितियों से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है. भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं . इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे ही संस्कृति कहते हैं. विरासत मे मिली पारंपरिक रीतियों मे और अधिक सुधार करके तथा उसमे भौतिक परिस्थिति का समावेश करके उन्नत बनाना .लेकिन परंपरा की नीव को क्षति से बचाते हुये आगे बढ़ाना . मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम जानने मे होती है . जिसके परिणाम उन्नत मिलते है उसे वह अपनाता है .इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में तथा भौतिक क्षेत्र मे उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक्-कृति संस्कृति का अंग बनती जाती है .प्राचीन विचार धारा मे नई विचारधारा का सामवेश होता है और संस्कृति और अधिक विकसित तथा उन्नत होती जाती है . संस्कृति को बचाए रखना हमारा भी परम कर्तव्य है .

प्रतिभा देशमुख

श्रीमती प्रतिभा देशमुख W / O स्वर्गीय डॉ. पी. आर. देशमुख . (वैज्ञानिक सीरी पिलानी ,राजस्थान.) जन्म दिनांक : 12-07-1953 पेंशनर हूँ. दो बेटे दो बहुए तथा पोती है . अध्यात्म , ज्योतिष तथा वास्तु परामर्श का कार्य घर से ही करती हूँ . वडोदरा गुज. मे स्थायी निवास है .