कविता : कुछ एहसास हुआ था…
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
साँसे थी वो उसकी,
या सिगार का धुआँ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
घर था वो सितारो का,
या गहरा कोई कुआँ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
नकाब था वो उसका या,
सर्द मौसम का कुहा था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
पलकें थी वो उसकी या,
मुलायम कोई रूआ था!
हमने उसे जब छुआ था,
कुछ एहसास हुआ था,
हकीकत था वो “तन्वी”या,
ख्वाबों का कोई जुआ था!
— तन्वी सिंह