गीत/नवगीत

“कुछ तो बता”

क्या किया किसने किया यह क्यूँ किया, कुछ तो बता

घर जला उसे सह लिया पर क्यूँ जला कुछ तो बता॥

जिसने उगा डाला चमन जिसने दिया हर पौध जल

उस बागवाँ को बेलिया तुमने दिया कैसा ये फल॥

कितनी तल्ख तलवार थी डंस गयी जो म्यान को

किस शिला की धार पैनी हुलसा गई सम्मान को॥

कलबाज़ियाँ परिवार में खेली गई जब भी कभी

मिट गए कौरव सभी पांडव पहाड़ गलते सभी॥

रार क्यूँ तकरार क्यूँ कुछ तो बता किरदार तूँ

बैठे जो चलती नाँव में किसकी खता पतवार तूँ॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ