गीत : सांसें
तुम्हारे आने की उम्मीद है, जो हम जी रहे हैं
हर पल ज़हर सा लगता है, जो हम पी रहे हैं
चाँद-सूरज घूम घूमकर मुझको झाँसे देते हैं
तुम्हारा इन्तज़ार है बस मुझको, जो सांसें हम लेते हैं !!
तुम सपना थी, चाह थी मेरी
तुम मंजिल थी, राह थी मेरी
सच होना सका, तुम्हे पा ना सका
तुम जिंदगी थी, जान थी मेरी
जब जान ही नहीं तो साँसे कैसे होंगी
मैं जिंदा हूँ तो कोई बताए, वो लाश कैसी होगी
चाँद-सूरज घूम घूमकर मुझको झाँसे देतेहैं
तुम्हारा इन्तज़ार है बस मुझको, जो सांसें हम लेते हैं !!
मैं जानता हूँ इनको जो, सांसे तुम पर बन जाती थी
तुम्हे देखकर तभी तो ये, जोरों से बढ़ जाती थी
चलती-चलती ये, देती थी मेरी गवाही
तेरा नाम ये चिल्लाती थीं जो, तुम सुन ना पाई !!
क्या है तुझमे ऐसा जो, तेरा नाम ये लेती है
ना जीने देती है मुझको, ना ये मरने देती है
साँस नही आ रही ! फूल मुरझाए !ये कैसी बहार है ?
तेरा आना तो मुश्किल है पर, इन्हें तेरा इन्तज़ार है
चाँद-सूरज घूम घूमकर मुझको झाँसे देतेहैं
तुम्हारा इन्तज़ार है बस मुझको, जो सांसें हम लेते हैं !!
सपनो में ही होता, अब तेरा दीदार
जाने कब खत्म होगा तेरा इन्तज़ार
महीने -दो महीने, चाहे लग जाए सालों साल
मैं तो यही रहूँगा, बस तू आ जाना इक बार !!
घुटती साँसों से ही सही, मैं मरता-मरता जी लूंगा
तेरी उम्मीद से इन्तज़ार करता-करता जी लूंगा
चाँद-सूरज घूम घूमकर मुझको झाँसे देतेहैं
तुम्हारा इन्तज़ार है बस मुझको, जो सांसें हम लेते हैं !!
— रवि शर्मा