गीत/नवगीत

गीत : बन जाओ अब तुम अंगार

कुछ करने की सोचो यार
खुद से करके देखो प्यार
तुम्ही खुद को तड़पाते
तुम्ही खुद के हो हैवान
समझकर खुद को बढ़ लो आगे
सबको तुम कर दो हैरान
स्फूर्ति का ! जोश का ! बन जाओ अब तुम भंडार
दरिया तुम बन जाओ आग का !
बन जाओ अब तुम अंगार॥

औरों को नहीं खुद को मार
खुद पे कर ले अब तू वार
तुझमे छुप के तुझे सताता
करले उस शैतान का शिकार
ढूंढ लाना उस जोश को, चले गया जो नदिया पार
दरिया तुम बन जाओ आग का ! बन जाओ अब तुम अंगार॥

तेज दौड़ता जाए खून
हर पल बढ़ता जाए जूनून
फूल हो, राहों पर कांटे हो
हर पग देता जाए सुकून
राहों से बेपरवाह, जब तुम आगे बढ़ते जाओगे
होगा मीठा सा अहसास और मंजिल को तुम पाओगे
उस स्फूर्ति का ! जोश का ! फिर बढ़ जाएगा संचार
इस दरिया से आग का, फूटेगा फिर और अंगार॥

रवि शर्मा

रवि शर्मा

नाम : रवि शर्मा पता : फरीदाबाद, हरयाणा अध्ययन : +२ (medical) passed वर्तमान : preparing for AIPMT exam Contact no: +918684981573 Fb: www.facebook.com/ravi.sharma3117