गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : देख लो यारो

कोई बात होठों में दबाकर देख लो यारो
माँ सब समझती है छुपाकर देख लो यारो।

किसने कह दिया तुमसे दिल आशिक़ी तोड़ती है,
कभी ग़रीबी को भी आजमाकर देख लो यारो।

भूख़, प्यास, तड़प, जरूरतें सब जान जाओगे,
किसी ग़रीब के बच्चे को जाकर देख लो यारो।

वो रूठा कहाँ है, वो तो मानने को तैयार बैठा है,
एक बार उसे दिल से मनाकर देख लो यारो।

गिले, शिक़वे तुम्हारे दरमियां सब मिट ही जायेंगे,
कभी उसको भी तुम गले लगाकर देख लो यारो।

परिंदा कह रहा था तुम भी उड़कर आसमां छूलो,
तुम भी पंख अपने फड़फड़ाकर देख लो यारो।

तुम्हारी भी तो कोशिशें उजाला कर ही सकती हैं,
तुम भी जुगनु के जैसे जगमगाकर देख लो यारो।

आख़िर में जमीं पर सभी को आना है एक दिन,
कितनी भी बुलन्दी पे तुम जाकर देख लो यारो।

जी आर वशिष्ठ

जी आर वशिष्ठ

नाम: जी आर वशिष्ठ पता:मकान न.-635, वार्ड न.-2, भगतसिंह सर्किल के पास कदम कॉलोनी,रामबास, तहसील- गोविंदगढ़ , जिला- अलवर, राजस्थान पिन:- 301604 पेशे से मूर्तिकार हूँ ,राजनीति विज्ञान से स्नातकोत्तर उत्तरार्द्ध में अध्ययनरत हूँ। थोड़ा-बहुत लिखता भी हूँ.. मेरी रचनाऐं जिन समाचार पत्रों में आती रहती हैं , उनमें प्रमुख दैनिक वर्तमान अंकुर, नोयड़ा, दैनिक नवप्रदेश, छत्तीसगढ़, दैनिक हमारा मेट्रो, नोयड़ा, राजस्थान की जान, चूरू आदि हैं..