कविता

नये साल का सपना

साल बदल जाये तो क्या ,
समय न अभी भी बदला है
पूस माघ में छुटकू के तन पर,
अब भी फटा ही झबला है
कब वो दिन आएगा जब,
कहेंगे अब युग बदला है
हर फूल का जीवन महके जब,
हर तारा उजला उजला है
नव वर्ष की पावन बेला पर,
आओ हम संकल्प करे
कोई बच्चा न भूखा हो,
और न जाड़े की मौत मरे
माँ की लोरी बाप का साया,
हर पल उसे नसीब रहे
कलम,कॉपी, स्कूल,स्वास्थ्य,
उसके सदा करीब रहे…….

— लवी मिश्रा

लवी मिश्रा

कोषाधिकारी, लखनऊ,उत्तर प्रदेश गृह जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश