मोहब्बत करलो
बेशबब मुस्कुराना हो तो मोहब्बत करलो,
दुनिया को भुलाना हो तो मोहब्बत करलो
मगर याद रहे इश्क में दर्द भी बहुत है,
ये गर गर्म सा है तो ये सर्द भी बहुत है,
ये वो सागर है जिसमें जाके डूबना तय है,
तुम्हे भी डूब जाना हो तो मोहब्बत करलो
इश्क खुशियाँ भी देगा इश्क गम भी देगा तुम्हें,
कुछ ज्यादा भी देगा बहुत कम भी देगा तुम्हें,
तन्हा बैठकर कभी किसी की यादों में,
गर अश्कों को बहाना हो तो मोहब्बत करलो
कभी फूलों से भी ज्यादा ये खिला देगा तुम्हें,
हद से ज्यादा भी एक दिन ये रुला देगा तुम्हें,
ये है आग का दरिया कभी ग़ालिब ने कहा था,
तुम्हें भी आग में जाना हो तो मोहब्बत करलो
इससे ज्यादा अधूरा भी कभी कुछ न रहा,
इससे ज्यादा पूरा भी कभी कुछ न रहा,
इसे कोई भी अभी तक जान ही न सका,
तुम इसे जानना चाहो तो मोहब्बत करलो
– जी आर वशिष्ठ