कविता

वर्षगाँठ

जब मैं पहली बार मिली
तुमसे
तो लगा जैसे
अब हुई है
मेरे जीवन की सही शुरुआत
मानो
मेरे जीवन के कैलेण्डर में
जनवरी आ गया
और ,धीरे धीरे
एक एक मुलाकात में
एक एक कर
कई महीने
ऐसे बीत गए
कि पता ही नहीं चला
कि कब तुम्हारे प्यार की
चमकीली धुप लिए
जून आ गया
और मैं
तुम्हारे नेह की बारिश में
जुलाई अगस्त सा भीग गई
तुम्हारी प्यार भरी बातों में
तुम्हारे स्पर्श ने मुझे
सितम्बर अक्टूबर सा
रोमांचित कर दिया
तुम्हारे प्यार की गर्माहट
और
मखमली एहसास ने मुझे
नवम्बर दिसंबर सी
रूमानी ठंडक में
मदहोश कर दिया
और अब
लो फिर आ गया
जनवरी
हमारे मिलान की
पहली वर्षगाँठ ।

नमिता राकेश