गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

खुशबू नहीं शबाब नहीं अब गुलाब में
कैसे कहूँ कशिश भी नहीं अब शराब में |
 
काली घटा गरफ्त किया सूर्य रौशनी
वो तीक्ष्णता चुभन भी नहीं आबताब में |
 
जीवन कभी सुसाध्य नहीं, इक रहस्य है
इंसान मोह में सदा जीते सराब में |
 
बचपन यहीं कहीं खो गया, ढूंढने लगा
मैंदान में नहीं, मिला उसकी किताब में |
 
यदि कर्म पूजा है तो अलग पूजा क्या करे
होनी विलीन आदमी के ही सवाब में |
 
कितने सफ़ेद कितनी है काली मुद्रा चलन
अब कौन है यहाँ जो कहेगा हिसाब में |
 
नेता कहे भी तो कहे क्या जनता को पता
श्रद्धया नहीं किसी को भी झूठे जवाब में |
 
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !