ये इश्क है ये लबों से बयां नहीं होता
ये इश्क है ये लबों से बयां नहीं होता
वो राज़ है जो किसी से निहां नहीं होता
जहाँ दिलों में मुहब्बत नहीं पला करती
किसी भी हाल ख़ुदा तो वहाँ नहीं होता
ज़रा सी चोट से दिल टूट जाया करते हैं
इसीलिए मैं कभी बदजुबां नहीं होता
अधूरे लोग हमेशा छलकते रहते हैं
जो पूरे हैं उन्हें कोई गुमां नहीं होता
नसीब को न परखना कभी भी ‘माही’ तू
ये मारता तो है लेकिन निशां नहीं होता
महेश कुमार कुलदीप ‘माही’
जयपुर / 8511037804