गीतिका/ग़ज़ल

आपका आशीष मुझको मिल रहा है

आपका आशीष मुझको मिल रहा है
दौर लेखन का तभी तो चल रहा है

जानता हूँ आप ही का है करम ये
आँधियों में दीप जो ये जल रहा है

चल रहा है नेकियों के रास्ते पर
वो तभी तो हर किसी को खल रहा है

मिल रहा है बाँगबां का प्यार इसको
इसलिये ही तो शजर ये फल रहा है

माँ बहुत हैरान है ये देखकर की
एक बेटा दूसरे को छल रहा है

है कोई तो बात की रुकता नही ये
कारवां जो साथ मेरे चल रहा है

हर बरस मरता है रावण फिर बताओ
हाथ अपने सच भला क्यूँ मल रहा है

— सतीश बंसल
०७.०१.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.