मुक्तक/दोहा

बिता रहे क्यूँ व्यर्थ ही, चिंता में दिन रात…

बिता रहे क्यूँ व्यर्थ ही, चिंता में दिन रात।
सभी चिता पर जायगें, केवल खाली हाथ॥

भाग रहा दिन रात है, जाने क्यूँ इंसान।
करता जाने क्यूँ नही, अपनी ही पहचान॥

मन माया का फेर है, तन है भोग विलास।
जितना इसको भोगता, उतनी जगती प्यास॥

पहला सच तो ईश है, दूजा सच है मौत।
लालच को बस जानिये, ईश मिलन में सौत॥

दृष्टि पटल वो देखता, जो मन उसे दिखाय।
अंतस में श्री राम है, पर मन देखे नाय॥

ईश वास ही जानिये, काया की पहचान।
जीव ईश है प्राण है, काया है परिधान॥

पंच तत्व का मेल है, देह नाशिनी जान।
प्राण ईश है देह का, प्राण बिना रज मान॥

कर्म किये करतार है, कर्म किये बिन दीन।
करना तेरा कर्म है, फल ईश्वर आधीन॥

बंसल केवल कर्म ही, इस जीवन का सार।
कर्मो के अनुसार ही, फल देते करतार॥

  1. सतीश बंसल
    ०६.९१.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.