मुक्तक/दोहा

विवेकानंद दोहों में

युवा चेतना दे रहे, स्वामी जी सानंद !
था ‘विवेक’ पाया सदा, इसीलिये ‘आनंद’ !!
किये काम, सो हैंअमर, सदा रहेंगे पास !
नव उजास, नव तेज में, ऊर्जा का अहसास !!
अमरीका में छा गये, दे संस्कृति का ज्ञान !
सकल विश्व में बढ़ गया, तब भारत का मान !!
परिभाषित कर धर्म को, फैलाया आलोक !
खुशी, हर्ष, उल्लास दे, परे हटाया शोक !!
मानवता की भावना, सद्भावों का सार !
देकर के हर एक को, महकाया संसार !!
सभी धर्म तो श्रेष्ठ हैं, दिया प्रखर आवेश !
हिल-मिलकर सारे रहो, दिया नवल संदेश !!
परमहंस के ज्ञान को, देकर व्यापक मान !
आदर्शों को संग ले, रच डाला अभियान !!
दुनिया करने लग गई, भारत की जयकार !
निज करनी, निज ज्ञान से, दिया हमें उपहार !!
इंसानी जज़्बात हैं, तब ही मानव ख़ास !
सिखलाया हमको यही, हो मानवता-वास !!
“शरद” करे उनको नमन्, थे संतों के संत !
जब तक उनकी सीख है, नहीं सत्य का अंत !!
प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]