कविता

“पिरामिड”

(1)

ये

स्वर्ण

पालना

लालना का

भाव बिभोर

गूँजे किलकारी

अघाते रहे नैना॥

(2)

क्यों

न, लूँ

बलैया

मुसुकाती

कंचन काया

आँचल छुपाती

माँ ममता लुटाती॥

(3)

है

सोना

साधना

प्रतिफल

उपासना की

सुधि आराधना

पूर्ण मनोकामना॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ