“पिरामिड”
(1)
ये
स्वर्ण
पालना
लालना का
भाव बिभोर
गूँजे किलकारी
अघाते रहे नैना॥
(2)
क्यों
न, लूँ
बलैया
मुसुकाती
कंचन काया
आँचल छुपाती
माँ ममता लुटाती॥
(3)
है
सोना
साधना
प्रतिफल
उपासना की
सुधि आराधना
पूर्ण मनोकामना॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी