क्षणिका क्षणिका *अंजु गुप्ता 19/01/2017 फिर जम बरसे वहशी बादल बह गयीं संग सारी हसरतें इससे पहले मुकम्मल होती जिंदगी… मोहब्बत यतीम हो गयी ! ! अंजु गुप्ता