गीतिका
सर हमेशा भारती के दर झुकाना चाहिए
खून से करके तिलक मस्तक सजाना चाहिए
वंदना माँ की करो तुम हाथ अपने जोड़ कर
हर वचन श्रीराम सा सबको निभाना चाहिए
देख बेटे का कफ़न माँ ,आज रोती है यहाँ
खून उन आतंकियों का अब बहाना चाहिये।
बाँध लो अपने कफ़न सर ,दुश्मनों से जंग है
याद दुश्मन को छटी का दूध आना चाहिए
आज “संजय” कह रहा है जान देकर भी यहाँ
खून का हर एक कतरा काम आना चाहिए
— संजय कुमार गिरि