कविता

नज़्म

सांस आती रही सांस जाती रही हर घड़ी याद तेरी सताती रही मैं तड़फता रहा दिन गुजरते रहे ज़ख्म मेरे हरे थे उभरते रहे गमके बादल गरज के बरसते रहे याद में तेरी जीते ओ मरते रहे ज़िन्दगी चैन से तो बिताई नहीं आपको याद मेरी भी आई नहीं मैं निभाता रहा हर वचन पे […]

गीतिका/ग़ज़ल

एक ग़ज़ल

साथ उसका ही मिला हर बार है प्यार को जिसने किया स्वीकार है कर दिया सब कुछ उसी के नाम में हाथ जिसके अब मेरी पतवार है चैन से सोया नहीं मैं आज तक हो गया जब से मुझे भी प्यार है खो रहा ख्वाबों में जिनके रात दिन साथ उनके ही मेरा संसार है […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हमको अकेला छोड़ वो साजन के घर चली बिटिया को हो नसीब, दुआ है वहां ख़ुशी विस्वास पर है दुनिया टिकी ये सभी कहें इक़ दूजे पर मगर नहीं करता कोई यकीं दिल में जगह बना के नहीं यार के रखी कहता रहा सदा ही हमें यार मतलबी यादों में खत लिखे थे कभी आप […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

सर हमेशा भारती के दर झुकाना चाहिए खून से करके तिलक मस्तक सजाना चाहिएवंदना माँ की करो तुम हाथ अपने जोड़ कर हर वचन श्रीराम सा सबको निभाना चाहिए देख बेटे का कफ़न माँ ,आज रोती है यहाँ खून उन आतंकियों का अब बहाना चाहिये। बाँध लो अपने कफ़न सर ,दुश्मनों से जंग हैयाद दुश्मन को छटी का […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

लेकर कलम माँ शारदे, आया हूँ तेरे द्वार लिखता रहूँ मैं गीतिका, देना कलम में धार हर गीतिका में आपका, करता रहूँ गुणगान मिलती रहे माँ ऊर्जा, मिलता रहे माँ प्यार माँगा न मैंने आज तक, जोड़े कभी न हाथ देखूं कभी जो स्वप्न माँ, होते सभी साकार जोड़े खड़ा मैं हाथ माँ, पूजूं सुबह […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

चढ़ रहा क्यूँ आदमी फिर मजहवी दीवार पर रख दिए हैं हाथ उसने आज फिर तलवार पर जी रहे थे हम यहाँ तो प्रेम और सद्भाव से फिर न जाने आज क्यों हम चल पड़े अंगार पर नफरतों का बीज बोते फिर रहे कुछ लोग अब रख दिया चाक़ू नुकीला देश के आधार पर एकता […]

कविता

कविता : मजदूर

कल रात की बासी रोटी को , मैं आज मजे से खा रहा हूँ , कल एक घर बना के आया था , मैं आज फिर बनाने जा रहा हूँ एक लोटा पानी पीकर फिर मैं अपनी भूख मिटा रहा हूँ , गम जो भी मन में था मेरे, मैं आज उसको भुला रहा हूँ […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

नहीं आज कोई गिला हम करेंगे तुम्हारे लिए ही दुआ हम करेंगे वफ़ा जिन्दगी से हमें आज भी है न कोई किसी से जफ़ा हम करेंगे बहुत दर्द हमने सहा है जहां में मिले जख्म की अब दवा हम करेंगे दिखावा बहुत लोग करते यहाँ पर सही बात दिल से सदा हम करेंगे जिसे आज […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सर झुके गर कभी तो नमन के लिए जान देनी पड़े तो वतन के लिए सर फरोशी तमन्ना दिलों में रहे बात कोई करो तुम अमन के लिए मुस्कुराते रहें आप यूँ ही सदा फूल जैसे खिले हों चमन के लिए देश पर जान अपनी फ़िदा कर चलें जिस्म पर हो तिरंगा कफ़न के लिए […]

कविता

कविता : तिरंगा

ऋषियोँ की पावन भूमि पर जिस दुश्मन ने पैर पसारा है ! सर धड से अलग कर देँगे हम जिस दुश्मन ने हमें ललकारा है ।। बहुत सुन चुके धमकी उसकी अब तो रक्त उसका बहाना है ! जान देकर वतन पर अपनी कश्मीर पर “तिरंगा” फहराना है !! हद को पार करता है वो […]