छन्द : शोकहर/ सुभांगी
सुनो दिवानी,राधा रानी,
बृषभानु लली, रख प्रीती ।
क्षोभ सतावे,चैन न आवे,
दिल ही जाने,जो बीती ।
यह सब साँचो,आँखिन बांचो,
नहि कुटिल कोउ,यह नीती ।
त्याग उदासी,आँखे प्यासी,
कान्हा को दिल,तुम जीती ।
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
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