कुण्डली/छंद

छन्द : शोकहर/ सुभांगी

सुनो दिवानी,राधा रानी,
बृषभानु लली, रख प्रीती ।

क्षोभ सतावे,चैन न आवे,
दिल ही जाने,जो बीती ।

यह सब साँचो,आँखिन बांचो,
नहि कुटिल कोउ,यह नीती ।

त्याग उदासी,आँखे प्यासी,
कान्हा को दिल,तुम जीती ।

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नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष'

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