प्रेम गीत
मैं प्रेम डगर राही, रहूँ प्रेम के गांव मे…
मिट जाए तपन सभी, जुल्फों की छाँव में….
आई रुत मस्तानी खिलता सा यौवन है,
देखा जब से तुझको, बहका फिर से मन है,
पहना दूँ पैजनिया, तेरे अब पाँव में,
मिट जाये तपन मेरी जुल्फों की छांव में.
मैं प्रेम डगर राही, रहूँ प्रेम के गांव मे…
मिट जाए तपन मेरी, जुल्फों की छाँव में….
इतराती है बाली, लटके इन कानो में,
बस तेरा ही चर्चा, मेरे सब गानों में,
बन जाओ हमराही, बैठे इक ठाँव में,
मिट जाए तपन मेरी, जुल्फों की छाँव में,
मैं प्रेम डगर राही, रहूँ प्रेम के गांव मे…
मिट जाए तपन मेरी, जुल्फों की छाँव में….