कुण्डलिया
(१)
कान्हा तेरा नाम सुन, मन में नाचे मोर ।
तेरे सुमिरन मात्र से, होय सुहानी भोर ।।
होय सुहानी भोर, बाद सब मंगल होता ।
धरे नही जो ध्यान, मूर्ख अपना ही खोता ।
कहे भक्त उत्कर्ष, ध्यान धर जिसने जाना ।
तेरा ही वह हुआ, त्यागकर सबकुछ कान्हा ।।
(२)
भूलो मत गुरुदेव को, गुरू गुणों की खान ।
दिवस आज गुरुदेव का, करो आप सब ध्यान ।।
करो आप सब ध्यान, सफल तब ही हो पावें ।
गुरू ज्ञान के दीप, बात यह वेद बतावें ।
भूल गुरू नादान, अधर में क्यों तुम झूलो ।
कहे शिष्य उत्कर्ष, गुरूजी को मत भूलो ।।
(३)
बजरंगी बलवीर का, है ये मंगलवार ।
राम नाम के साथ जप, होवे बेड़ापार ।।
होवे बेड़ा पार, बात यह उर में धारो ।
संकट होवे दूर, आप हनुमान उचारो ।
कहे भक्त उत्कर्ष, नाथ दुखिया के संगी ।
शंकर के अवतार, वीर बाला बजरंगी ।।
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006