कविता
कभी यादो में आती हो।
कभी ख्वाबों में आती हो।
चाँद बनकरके बादल में
अक्सर छिपकर आती हो।
नहीं कोई तेरे जैसा
नहीं कोई दोस्त ऐसा
नजर रुक जाती है तुझ पर।
नहीं मिला मुझको ऐसा।
बढकर परियों से हो तुम।
खूबसूरत सबसे हो तुम।
जगह ढुढता है दिल मेरा।
क्योंकि दिल की हसरत हो तुम।
@@@ रमेश कुमार सिंह “रुद्र”