मेरी कहानी 201
अब मैं चाहता हूँ कि लीला बहन के मुझ पर लिखे सभी ब्लॉग एक एक करके “मेरी कहानी” की कड़ियां बनाऊं, क्योंकि इन के बगैर यह मेरी कहानी सम्पूर्ण नहीं हो सकती। यूँ तो इन ब्लॉग्ज़ में जो लिखा है वह मैं “मेरी कहानी” में बहुत कुछ लिख चुका हूँ, फिर भी मैं, लीला जी के ब्लॉग्ज़ के रंग मेरी कहानी में जरूर भरूँगा । इन ब्लॉग्ज़ पर कितनी प्रतिक्रियाएं आईं, यह छोड़ कर मैं सिर्फ ब्लॉग्स के नामों से आपको परिचित करवाना चाहूंगा। आप किसी भी शीर्षक को गूगल से सर्च करके इनका आनंद ले सकते हैं. आपकी सुविधा के लिए ई.बुक्स के लिंक भी मौजूद हैं.
नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग में लीला तिवानी के ब्लॉग ‘रसलीला’ में गुरमैल भाई पर आधारित ब्लॉग्स की ई. बुक-1 का लिंक-
1.गुरमैल-गौरव-गाथा-17 मार्च 2014.
2.सपना साकार हुआ-31 मार्च 2014.
3.जन्मदिन का उपहार-08 अप्रैल 2014.
4.कहानी कुलवंत कौर की-14अप्रैल 2014.
5.यादों का दरीचा-28अप्रैल 2014.
6.हम तुम्हारे लिए, तुम हमारे लिए-20 अगस्त 2014.
7.मेरी पहली कविता-01 सितंबर 2014.
8.स्वच्छता अभियान से देश के विकास तक-03 नवंबर 2014.
9.गुरमैल-गरिमा-गाथा-24 नवंबर 2014.
10.जन्मदिन तुम्हारा : प्रेम-पत्र हमारा-29 दिसंबर 2014.
11.गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड से ऊंची, आपकी ऊंचाई:गुरमैल भाई-जनवरी 19 2015.
12.ई.बुक’ की बधाई, शुभकामनाएं गुरमैल भाई- अप्रैल 12, 2015
नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग में लीला तिवानी के ब्लॉग ‘रसलीला’ में गुरमैल भाई पर आधारित ब्लॉग्स की ई.बुक-2 जो अभी बननी है-
1.गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड से ऊंची : प्रतिक्रियाएं- अप्रैल 16, 2015.
2.एक अनचीन्हा रूप- अप्रैल 23, 2015
3.मातृ दिवस की वेला, कुलवंत कौर के घर मेला- मई 10, 2015
4.सुहाना सफर- जुलाई 20, 2015
5.एक नवीन प्रयोग (कहानी)- दिसम्बर 03, 2015
6.गुरमैल भाई, सम्मान की बधाई- जनवरी 08, 2016
7.विनिंग मोमेंट्स की तस्वीर- फरवरी 02, 2016
8.उपलब्धियां दबे पांव आती है- अप्रैल 14, 2016
9.विराट मन की व्यापक स्मृतियां- जुलाई 10, 2016
10.जन्मदिन हमारा: उद्गार आपके-हमारे- सितम्बर 10, 2016
11.बुलंद हौसले को कोई नहीं रोक पाया है: कुलवंत- दिसम्बर 25, 2016
12.कुछ ज़माना बदले कुछ हम- जनवरी 06, 2017
”मेरी कहानी” के 21-21 एपीसोड्स की ई.बुक्स के लिंक इस प्रकार है-
पाठकों को मेरा धन्यवाद-
इस कड़ी के बाद फिलहाल हम विराम ले रहे हैं, लेकिन इससे पहले हम उन सब पाठकों और कामेंटेटर्स को धन्यवाद देना चाहेंगे, जो प्रोत्साहन से सराबोर प्रतिक्रियाओं से जोश का संचार करते रहे। बिना हुंकारे के तो दादी-नानी की छोटी-सी कहानी भी आगे नहीं बढ़ती, आप लोगों ने तो अपनी उत्सुकता के अलख से मेरे साहस की मशाल को निरंतर प्रज्वलित किए रखा और मैं मेरी कहानी के 201 एपीसोड आपके सामने प्रस्तुत कर सका. फिर मिलने के लिए, फिलहाल शुक्रिया और धन्यवाद।
गुरमेल सिंह भमरा
प्रिय गुरमैल भाई जी, ना-ना करते आपने अपनी आत्मक्था के 201 एपीसोड पूरे कर लिए. आपकी 11 ई.बुक्स भी बन गईं. हमें इतनी खुशी हुआ है, कि हम निःशब्द हो गए हैं. बस आपको कामयाबियों और उपलब्धियों के शिखर पर पहुंचने के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं दे सकते हैं. कोटिशः शुभकामनाएं और बधाइयां.