चुनाव गीत (ब्रजभाषा में)
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।
जे पांच साल ते लूटि रहे
भाग प्रदेश के फूटि रहे
जे नाटक करें हजार, हजार, सपा कूं मजा चखाइ दीजो।
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।।
जे बसपा मौका ताड़ि रही
जे जातिवाद फैलाइ रही
हाथी करि देउ बेकार, बेकार, अब धूरि में जाइ मिलाइ दीजो।
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।
जाने बस चमचे पाले हैं
और जमकर करे घुटाले हैं
कांग्रेस कौ बस परिवार, परिवार, अब जाकूं खतम कराइ दीजो।
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।
विकास प्रदेश कौ करनौ है
भाजपा कूं फिर ते लानौ है
अब होगौ बेड़ा पार, हो पार, वोटन ते कमल खिलाइ दीजो।
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।
मोदी जी सबके प्यारे हैं
भारत मां के रखवारे हैं
जे ‘बीजू’ करै पुकार, पुकार, बल जाकौ और बढ़ाइ दीजो।
नेंक सोचि समझि भरतार, भरतार, कमल कौ बटनु दबाइ दीजो।।
— विजय कुमार सिंघल “बीजू ब्रजवासी”
माघ कृ. 5, सं 2073 वि. (17 जनवरी, 2016)