बचपन की यादें
बचपन की यादें आती है,जब सामने बच्चा आता है।
मन करता बच्चा आता है,जब सामने बच्चा आता है।
खेलना हँसना साथ साथ, टोली बनाकर रहता था।
साथ-साथ पैदल चल करके, मैं विद्यालय में जाता था।
नदी में पानी के संगवा ,बालू संग खेला करता था।
कभी कभी नावों पर चढकर, पानी के उपर फिसलता था।
कभी कभी बाहों के बल पर, पानी के उपर तैरता था।
कभी कभी बालू पर जाकर, मैं सटर्रा खेला करता था।
कभी कभी बागों में जाकर, मैं बैर अमरुद खाता था।
कभी कभी पेड़ो पर चढकर,इधर-उधर घुमता-फिरता था।
देखता हूँ बच्चों को जब खुश,बचपन की यादें आती है।
आज बन जाता हूँ बच्चा मैं,बच्चों की दुनिया बुलाती है।
______________@@@@@@@ रमेश कुमार सिंह
__________________________________09-09-2016