कविता

कविता : क्या है कोई राम ? ? ?

क्या है कोई राम ? ? ?
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कितनी अहिल्या
जीती जागती
बनीं शिला
हुई भावशून्य !
उसी वजह से…
जो व्यापित सतयुग से
है अब तलक ! !

लिए लालुपता
धर आवरण
कितने ही इन्द्र
तोड़ें मर्यादा
करें खंडित विश्वास…
अहिल्या हो शापित
बने परिहास ! !

कभी पत्थराई
कभी लिए उम्मीद
अपने राम की राह तकें
जो पकड़ हाथ
चले साथ…
दे सम्मान
रखे गरिमा का मान !

क्या है कोई राम ? ?

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed