क्षणिका क्षणिका : नारी *अंजु गुप्ता 29/01/2017 पुरजोर से करे रुदन वो बन ठूँठ फैला रीती बाँहें कहे पुकार – बँद करो अत्याचार ! ताकि जन्मे… इस ठूँठ में नवजीवन नई उम्मीद ! अंजु गुप्ता