कुण्डलियॉ छंद
वाणी पाणिनि शारदे,
भर दो मन विश्वास ।
शीश किये नत हूँ खड़ी,
टूट न जाए आस ।।
टूट न जाए आस,
ज्ञान का मैया वर दे।
सृजन लेखनी धार,
हृदय में करुणा भर दे।।
अनहद करिये गूँज,
कुमुद्वती च कल्याणी
जला ज्ञान का पुंज,
हृदय में हे माँ वाणी ।।
?….अनहद गुंजन *गूँज*