गीतिका
वंदना
प्रमाणिका छंद
12 12 12 12
समांत: आर
पदांत -दो
सुलेखनी निखार दो
सदैव मातु प्यार दो
सुधर्म भी सुकर्म भी
सुबुद्धि माँ प्रचार दो
पढ़े चलूँ लिखे चलूँ
कि उच्च माँ विचार दो
सुकाव्य हो सुगीत माँ
सुसाधना प्रसार दो
गुमान हो नहीं कभी
प्रवाह प्रेम धार दो
नवीनता लिखूं सदा
सुछंद भाव सार दो
कृपा करो दयालु माँ
प्रयास में न हार दो
सदैव पुष्प कामना
मुझे दया अपार दो ।
पुष्प लता शर्मा