गीत/नवगीत

गीत : बदल गया यह लल्ला

बदल गया यह लल्ला
प्रियतम की यादों में खोया, बोलो नहीं  निकम्मा l
रूप – पाश  में बँधकर भूला,  भाई, बापू, अम्मा ।।

गीत  सिनेमा  का वो गाये,  बहुत  करे   मनमानी ।

लैला मजनू के सब किस्से,  उसको   याद जुबानी ।।
बचपन के सब सैर – सपाटे, धमा – चौकड़ी हल्ला l
जब  से आई  नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।

आगे – पीछे चक्कर काटे, बनकर  छैल – छबीला l
कुत्ते जैसा दूम हिलाये, गिरगिट, स्यार  रँगीला ।।
चुटकी पर खुश होकर नाचे, करके  ता – ता थैया l
माँ बापू का कहा न माने, क्या बहना  क्या भैया ।।

हालीवुड – बालीवुड समझे,  अपना    गली – मुहल्ला ।

जब  से आई  नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।

दुख से आहत दुनिया सारी, इसे न मतलब जग से l
प्रियतम जो खुश हो तो मानो,खुशी हुए शिख पग से।।
सारे  रिश्ते  इसके  गायब, साथ  रहे  जो  बीवी l
खाये – पीये  मौज  मनाये, देखे    हरदम  टीवी ।।

नथिया, बाली, झुमके, कंगन, लाये  पायल, छल्ला ।

जब  से आई  नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।

अवधेश कुमार ‘अवध’

प्र. सं. – साहित्य धरोहर
919862744237

[email protected]
मैक्स सीमेंट, मेघालय

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन

One thought on “गीत : बदल गया यह लल्ला

  • अवधेश कुमार 'अवध'

    हास्य से ओत – प्रोत यह कविता यथार्थ के अति निकट है ।

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