गीत : बदल गया यह लल्ला
बदल गया यह लल्ला
प्रियतम की यादों में खोया, बोलो नहीं निकम्मा l
रूप – पाश में बँधकर भूला, भाई, बापू, अम्मा ।।
गीत सिनेमा का वो गाये, बहुत करे मनमानी ।
लैला मजनू के सब किस्से, उसको याद जुबानी ।।
बचपन के सब सैर – सपाटे, धमा – चौकड़ी हल्ला l
जब से आई नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।
आगे – पीछे चक्कर काटे, बनकर छैल – छबीला l
कुत्ते जैसा दूम हिलाये, गिरगिट, स्यार रँगीला ।।
चुटकी पर खुश होकर नाचे, करके ता – ता थैया l
माँ बापू का कहा न माने, क्या बहना क्या भैया ।।
हालीवुड – बालीवुड समझे, अपना गली – मुहल्ला ।
जब से आई नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।
दुख से आहत दुनिया सारी, इसे न मतलब जग से l
प्रियतम जो खुश हो तो मानो,खुशी हुए शिख पग से।।
सारे रिश्ते इसके गायब, साथ रहे जो बीवी l
खाये – पीये मौज मनाये, देखे हरदम टीवी ।।
नथिया, बाली, झुमके, कंगन, लाये पायल, छल्ला ।
जब से आई नई लुगाई, बदल गया यह लल्ला ।।
अवधेश कुमार ‘अवध’
प्र. सं. – साहित्य धरोहर
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मैक्स सीमेंट, मेघालय
हास्य से ओत – प्रोत यह कविता यथार्थ के अति निकट है ।