कवितापद्य साहित्य

अपनापन

इस संसार में
सूर्य की तेजस्विता है
चंद्रमा की चंद्रिका है
तारों की झिलमिलाहट है
सपनों की आहट है
जेबों में माया है
घरों में छाया है
सुखों की सजावट है
दुःखों की बुनावट है
वाहनों का शोर है
आतंक चारों ओर है
महंगाई की मार है
सड़कों पर तकरार है
खुशियों की खिलखिलाहट है
अभावों की तिलमिलाहट है
नहीं है तो
केवल अपनापन
और हर एक चाहता है
अपनापन,
केवल अपनापन.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244