अपनापन
इस संसार में
सूर्य की तेजस्विता है
चंद्रमा की चंद्रिका है
तारों की झिलमिलाहट है
सपनों की आहट है
जेबों में माया है
घरों में छाया है
सुखों की सजावट है
दुःखों की बुनावट है
वाहनों का शोर है
आतंक चारों ओर है
महंगाई की मार है
सड़कों पर तकरार है
खुशियों की खिलखिलाहट है
अभावों की तिलमिलाहट है
नहीं है तो
केवल अपनापन
और हर एक चाहता है
अपनापन,
केवल अपनापन.