गज़ल
आसमां जुड़ा हुआ है जिस तरह जमीं के साथ,
जुड़ा हुआ है उस तरह तू मेरी जिंदगी के साथ,
दबी-दबी हंसी, झुकी-झुकी निगाह दिलफरेब,
कैसे लूट लेते हो दिल इतनी सादगी के साथ,
मैं कह ना सका तेरे बिना जी नहीं लगता मेरा,
पूछा उसने हाल कुछ ऐसी नाराज़गी के साथ,
एहसास मुझे मेरी गरीबी का दिलाने के लिए,
महल बना लिया उन्होंने मेरी झोंपड़ी के साथ,
इश्क की राहों पे चलना शौक से सुन ले मगर,
गम हज़ारों मुफ्त में मिलते हैं आशिकी के साथ,
तूफान ना भी आता तब भी डूबना तो तय ही था,
कैसे दरिया पार होता कश्ती कागज़ी के साथ,
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।