ग़ज़ल : गीत उर्दू में लिखें ग़ज़लों को हिन्दी में कहें
गीत उर्दू में लिखें ग़ज़लों को हिन्दी में कहें
काव्य धारायें अदब सागर की जानिब यूँ बहें
टूट जाएगा अकेला सुख बिखर जाएगा चैन
आइए आपस का हर दुख-दर्द मिलजुलकर सहें
वो वतन हो या कि दिल हरगिज न बँटने दें उसे
दूर नफरत से हमें रखनी हैं रिश्तों की तहें
वार अपनी एकता पे हो रहे हर तरफ से
वक्त का है ये तकाजा एकजुट होकर रहें
‘शान्त’ मन में इक तमन्ना कल भी थी है आज भी
बूँदो-बारिश से किसी के भी न कच्चे घर ढहें
— देवकी नन्दन ‘शान्त’