नभाटा ब्लाॅग पर मेरे दो वर्ष-22
10 अप्रेल, 2013 को मैंने नवभारत टाइम्स में अपने ब्लाॅग पर एक लेख डाला, जिसका शीर्षक था- ‘हिन्दू होने का दर्द’। इसमें मैंने पाकिस्तान से अपनी जान बचाकर आये हुए उन हिन्दू तीर्थयात्रियों के कष्टों की चर्चा की थी जो भारत में शरणार्थी बनकर रहना चाहते हैं। वे वापस नहीं जाना चाहते, क्योंकि पाकिस्तान में उनको अपनी जान-माल और इज्जत का खतरा दिखाई देता है।
मेरे लेख का मुख्य बिन्दु यह था कि वे हिन्दू हैं इसलिए उनके लिए भारत के अलावा कोई विकल्प नहीं है, फिर भी भारत सरकार उनको शरण नहीं दे रही है और जबर्दस्ती वापस पाकिस्तान में धकेल देना चाहती है। उस समय कांग्रेस की सरकार थी, अब तो मोदी जी की सरकार ने उनको शरण दे दी है और यहां की नागरिकता लेने का भी रास्ता खोल दिया है, लेकिन तब वे बहुत दयनीय हालत में थे।
इस लेख का लिंक दे रहा हूँ-
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/Khattha-Meetha/entry/hinduhonekadard
जैसा कि स्वाभाविक है इस लेख पर बहुत बड़ी संख्या में (लगभग 200) टिप्पणियाँ प्राप्त हुईं। पाठकों में खूब बहस हुई। अधिकांश ने मेरी बात का समर्थन ही किया।
मेरे इस लेख के कारण मुझे सप्ताह का सर्वश्रेष्ठ लेखक (ब्लाॅगर) बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ।
एक बात और, इस लेख पर भाई विजय बाल्याण ने कमेंट लिखा था- “बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है ……. इस पर चिंता या चिंतन की नही अपितु कार्यवाही की जरूरत है …… और मुझे पूरा भरोसा है वो कार्यवाही कभी होगी नही ……. चाहे कोई भी सत्ता को संभाले …….”
मैंने इसका यह उत्तर दिया था- “आपको इतना निराश नहीं होना चाहिए। मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो सबका ध्यान रखा जायेगा। कार्यवाही भी होगी।”
मुझे प्रसन्नता है कि मेरी दोनों बातें सही सिद्ध हुईं।
— विजय कुमार सिंघल
माघ सुदी 10, सं 2073 वि. (6 फरवरी, 2017)