कविता

कविता : बिन तेरे

बिन तेरे
तेरी यादों में
मुमकिन है…
मैं जी जाऊँ
बेखबर हूँ… ये भी हो सकता है
पूरी तरह बिखर जाऊँ !

ढह रहा
सपनों का घर
मुमकिन है…
आँसू पी जाऊँ !
बेखबर हूँ… ये भी हो सकता है
संग आँसुओं के बह जाऊँ !

घायल अपनी
यादों के पन्ने
मुमकिन है…
बँद कर पाऊँ !
बेखबर हूँ… ये भी हो सकता है
किताब पूरी पढ़ जाऊँ ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed