कविता “कुंडलिया” *महातम मिश्र 09/02/2017 सुंदरी की सुंदरता, अर्पण करती फूल नयन रम्यता झील की, मोहक पल अनुकूल मोहक पल अनुकूल, खींचता है आकर्षण यही प्रकृति विज्ञान, सृष्टि करे प्रत्यार्पण गौतम यह सौगात, नगीना शोहे मुंदरी कोमल कर करताल, अर्घ जल पुष्प सुंदरी॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी