कविता : नींदें चुरा के मेरी
नींदें चुरा के मेरी, चैन से वो सो गया है
कल तक था दिल जो मेरा, अब उसका हो गया है !!
उसे देखने की हसरत, बात करने की तमन्ना
उसके लिए दिल्लगी है, चैन मेरा खो गया है !!
न है यूँ कोई वादा, न खायीं हैं हमने कसमें
पर उसके बिन अब रहना, दुश्वार हो गया है !
बसा लें पलकों तले हमें, हम चैन से सो जाएँ
कैसे कहें अब ये उसको… इश्क उनसे हो गया है !!
नींदें चुरा के मेरी, चैन से वो सो गया है !
कल तक था दिल जो मेरा, अब उसका हो गया है !!
अंजु गुप्ता