सीख लिया
सहते-सहते अग्नि का ताप
जल ने भी जलना सीख लिया ।
लोगो की फितरत देख-देख
हमने भी बदलना सीख लिया ।
कुछ जोर ना था जब शब्दों में
चुप्पी ने कहना सीख लिया ।
नहीं राह मिली फूलों की मगर
काँटों पर चलना सीख लिया ।
ठोकर खाकर गिर गए कभी तो
खुद ही सम्भलना सीख लिया ।
मौसम की मार इस तरह पड़ी
हर हाल में ढलना सीख लिया ।