झूठ और सच
बच्चे सच को बोले झूठ
और झूठ को बोले सच
बच्चे ने मुख्याध्यापिका से
छुट्टी लेने के लिए लिया झूठ का सहारा
मर गए मेरे दादा जी
दे दो मुझे छुट्टियाँ
सुन कर उन्होंने दे दी उसको छुट्टियाँ
शोक जताने आई घर जब उसकी मुख्याध्यापिका
घर आते देख उन्हें तभी पोते ने दादा से कहा
छुप जाओ घर के अंदर
तुम्हारे मौत का बहाना बना कर ली मैनें छुट्टियाँ
नहीं तो वे मेरी स्कूल से कर देगी छुट्टी
सुन के दादा बोले पोते से
इस झूठ के कारण करता तुम से कुट्टी
छुट्टी के लिए जिन्दे दादा को दिया मार
कर दिया तुमने मेरा अंतिम संस्कार
अब तो ज़िंदा तभी होऊँगा
जब मनोगे मेरी शिक्षा
ओ मेरे कुल दीपक ! झूठे नहीं बनाना कभी भी बहाना
सच को जीवन में अपनाना
तू है कुल , देश , जग का चिराग
तू है नई पीढ़ी का पराग
सच में ईश का निवास
जीवन चमके , बढ़ता मंजु सच के साथ .
— मंजु गुप्ता