भारत माँ के वीर सपूत
बर्फ़ीली तूफ़ानों में
लड़ता रहा रणधीर
सर्पीली ग्लेशियर में
लड़ा बहादुर वीर
लड़ा बहादुर वीर
बढ़ाया मान देश का
शौर्य कीर्ति परचम
लहराया स्वदेश प्रेम का
राज नमन नित
दिन करता है
धन्य हो भारत माँ के लाल
भारत माँ के वीर सपूत
कोटि – कोटि अभिनन्दन
माटी का कण-कण यश गाता
तुम माथे के चंदन
धन्य धरा वह धन्य भूमि है
धन्य मातु उर नंदन
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’